लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८भाग २१भ

५०- रानी की खुशखबरी से सभी बहुत खुश

श्रवन और श्रेया के जाते ही दीपक और रानी भी सोने चले गए।अगले दिन उसने श्रेया को मैसेज किया। उसने रानी का मैसेज देखा और रानी को कॉल लगा दी। श्रेया की कॉल आते ही रानी बहुत खुश हो गई और फोन उठाते ही रानी ने हेलो करके गुड मॉर्निंग विश किया। श्रेया ने कहा-  क्या बोली यार अब गुड मॉर्निंग कहां है ? अब तो गुड नून हो गया है,रानी ने घडी देखी और बोली सॉरी यार.... टाइम का पता ही नहीं था। कोई बात नहीं, होता है.... होता है....

श्रेया ने रानी से उसका हालचाल पूछा, रानी बोली- कि सब ठीक है, पहले मुझे सौंदर्या का हाल बताओ। कि वह क्या कर रही है? श्रेया  बोली वो अभी सो रही है । रानी बोली- अच्छा ठीक है, और तुम कैसी हो। श्रेया ने कहा- मैं भी ठीक हूं। अपना ध्यान रखना ठीक है। तुम अपना बताओ, डॉक्टर ने क्या कहा है? श्रेया ने रानी से पूछा। रानी ने श्रेया को सभी बात विस्तार से बताई, कि डॉक्टर ने कैसे चेकअप किया। कौन-कौन सी रिपोर्ट्स करवाई, और रिपोर्ट के आधार पर डॉ. ने रानी को क्या-क्या परहेज बताया?  क्या-क्या दवाइयां, क्या-क्या करने को कहा? रानी अभी बता ही रही थी, कि श्रेया ने बीच में रुक कर पूछा- तो तुमने दवा शुरू की कि नहीं। तब रानी ने कहा-हां बता तो रही हूं । पहले मेरी बात सुन लो। श्रेया ने कहा-  अच्छा ठीक है बताओ। रानी बातें बताते बताते बड़ी खुश नजर आ रही थी। उसने पूरी बात श्रेया को बताई और ये भी कहा-  कि तुम मां बन सकती हो, लेकिन तुम्हें सारी दवाएं लेनी होगी और परहेज करना होगा। इसलिए मैंने कल ही सारी दवाइयां शुरू कर दी। और परहेज भी मैं सभी तरीके से कर रही हूं,और करती रहूंगी।

श्रेया ने कहा- फिर तो बहुत जल्दी ही डॉक्टर साहब की कहे अनुसार खुशखबरी को साबित कर दोगी, और मां बन जाओगी। रानी ने श्रेया की बात सुनकर कहा- तुम्हारे मुंह में घी शक्कर। काश!  ऐसा हो जाए। श्रेया ने कहा- आमीन, ऐसा ही होगा। कहकर श्रेया बोली- अब मैं फोन रखती हूं। मेरा भी दवाई खाने का समय हो गया है, नहीं तो श्रवन आकर मुझे डांटेंगे। रानी बोली हां हां ठीक है, चलो फोन रखते हैं। बाय... बाय....। आप भी दवा खा लो और अपना ध्यान रखना।

तब तक रक्षा को खाना खाने के लिए बुलाने आ गई। रक्षा बोली- भाभी चलो खाना खा लो, खाना तैयार है। श्रेया ने कहा- ठीक है, चलो चलती हूं। कहकर रक्षा और श्रेया दोनों एक साथ कमरे के बाहर आए, और आकर पेमेंट कर खाना परोसने लगी। श्रेया ने मांजी को खाना परोसा और रक्षा ने श्रेया को खाने के लिए खाना लगा दिया था।सभी लोग एक दूसरे की मदद कर खाना परोस कर खाने बैठ गए थे। तब श्रेया ने खाना खाते हुए मां जी को रानी के बारे में बताया और कहा- कि रानी का इलाज उसी डॉक्टर से चल रहा है, जिसमें मेरा इलाज किया था। रानी को लेकर दीपक उसी डॉक्टर के यहां गये थे। वही से दीपक ने रानी का इलाज शुरू किया है। मां भी सुनकर खुश हुई ,और बोली अच्छा है उसकी भी गोद भर जाए। तो वह भी खुश रहे। मां बोली कि रानी और दीपक दोनों ही पति-पत्नी काफी मिलनसार नेचर के हैं। पहली बार दीपक ने अनजान होने के बावजूद भी तुम्हें ब्लड दिया था। जान पहचान भी तो वहीं से शुरू हुई थी। श्रेया बोली  हां मां जी यह बात तो बिल्कुल सही है । दीपक ने मुझे ब्लड दिया था तभी से श्रवन और दीपक की दोस्ती शुरू हुई, और श्रवन से मिलना जुलना शुरू हो गया, उससे पहले तो हम एक दूसरे के लिए अजनबी हुआ करते थे।। मां ने कहां- हां ये बिल्कुल सही बात है।आप लौगों की दोस्ती भी वहीं से शुरू हुई। सौदर्या की रोने की आवाज आई। श्रेया सौंदर्या के रोने  की आवाज सुनकर जल्दी से उठी और कमरे में गई । वहां जाकर उसने उसको उठाया और गोद में लेकर दूध पिलाने लगी। सौंदर्या थोड़ी ही देर में दूध पीकर चुप हो गई और खेलने लगी श्रेया उसे लेकर कमरे के बाहर आई और रक्षा को दे दिया रक्षा उसे खिलाने लगी। अच्छा सौंदर्या को बहुत प्यार से खिला रही थी तब तक पिताजी वहां आ गए। पिताजी ने कहा- लाओ सौदर्या को मुझे दो। अब मैं इसे खिलाऊंगा तुम बहुत खिला चुकी हो।रक्षा ने  पिताजी को सौंदर्या को गोद में दे दिया। और वह उठकर कमरे में चली गई। पिताजी सौंदर्या को खिलाने लगे,अब मां और पिताजी दोनों ही हॉल में बैठे थे। मां पिताजी आपस में बातें कर रहे थे। और सौंदर्या को खिला भी रहे थे। मां ने पिताजी को बताया -कि श्रेया की सहेली रानी का इलाज भी उसी डॉक्टर से चल रहा है जिसने श्रेया का इलाज किया था,और डॉक्टर ने रानी को कहा है कि वह मां बन सकती है पिताजी सुनकर बड़े खुश हुए, और बोले- यह अच्छी बात है, दोनों ही बड़े अच्छे बच्चे हैं। वह दोनों भी मां बाप बन जाए तो बहुत खुशी की बात है।

मां पिताजी ने उन दोनों के लिए दुआएं की, और सौंदर्या को खिलाते रहे। सौंदर्या सब घर की जान है। सभी सौंदर्या पर जान छिड़कते थे। पिताजी बोले जब हमारे घर में यह नन्ही बच्ची नहीं थी। तभी हमीं लोग कितने परेशान थे। ऐसा ही होता है, जब हमें जिस चीज की चाहत होती है। वह हमारे पास नहीं होती है,तो हम सभी परेशान होते हैं, और भगवान पल में झोली भर देते हैं, तो हमारा दुख दूर हो जाता है। हमारी मनोकामना पूर्ण हो जाती है, तो हम खुश हो जाते हैं। इसी तरह दीपक और रानी की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाए। तो वह भी खुश हो जाए। इतने में सौदर्या फिर से रोने लगी। 

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6 Comments

Raziya bano

14-Oct-2022 08:48 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

14-Oct-2022 04:31 PM

बहुत खूब👌👌

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shweta soni

14-Oct-2022 03:23 PM

Behtarin rachana

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